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TOPIC: Hasya Kavi Sammelan 2014 - Report and Pictures.

Hasya Kavi Sammelan 2014 - Report and Pictures. 10 years 6 months ago #25012

गीत और ग़ज़ल के साथ हँसी और ठहाकों में बीती शाम

अदिति मजूमदार ( मोर्रिस्विल्ले, नार्थ कैरोलाइना)

27 अप्रैल को हिन्दू सोसाइटी, मोर्रिस्विल्ले के सांस्कृतिक भवन के प्रांगण में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी समिति एवं हिन्दी विकास मंडल के तत्त्वाधान में हास्य कवि- सम्मलेन का आयोजन हुआ। प्रदीप चौबे, सर्वेश अस्थाना और आलोक श्रीवास्तव की इस कवि सम्मलेन में भागीदारी थी। तनाव भरी ज़िन्दगी में कुछ घंटे हँसी- ख़ुशी के साथ बिताने के लिए नार्थ कैरोलाइना की जनता पूरा वर्ष इस कवि सम्मेलन का इंतज़ार करती है। पहला कवि सम्मलेन समाप्त होता है कि दूसरे कवि सम्मेलन के लिए लोग पूछने लगते हैं। पसंदीदा कवियों के नाम सुझाने लगते हैं। प्रदीप चौबे, सर्वेश अस्थाना और आलोक श्रीवास्तव ने ऐसा समय बाँधा कि दर्शकों के ठहाके भी लगते रहे और आलोक श्रीवास्तव की ग़ज़लों का रसास्वादन करते रहे। आलोक श्रीवास्तव की माँ-बाबू जी की कविताओं ने दर्शकों की आँखें भी नम की और उनकी सखी पिया ग़ज़ल से रोमांचित भी हुए। उनकी ग़ज़ल थी -

घर में झीने रिश्ते मैंने लाखों बार उधड़ते देखे,
चुपके-चुपके कर देती है जाने कब तुरपाई अम्मा।

बाबूजी गुज़रे आपस में सब चीज़ें तक़सीम हुई तब-
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से आई अम्मा।

इस सुरमई और हँसी की शाम का आरम्भ बिंदु सिंह ने डॉ. गंगाधर शर्मा, संस्थापक हिन्दी विकास मंडल, से दीप प्रज्जवलित करवा कर किया। फिर सरोज शर्मा अध्यक्ष हिन्दी विकास मंडल ने दर्शकों का स्वागत किया। हिन्दी क्लास के बच्चों ने श्लोक पढ़कर कवि सम्मलेन का आरम्भ किया। इसके उपरांत बिंदु सिंह ने कथाकार, कवयित्री डॉ.सुधा ओम ढींगरा को मंच पर बुलाया, जो अंतरराष्ट्रीय हिन्दी समिति के कवि सम्मेलनों की राष्ट्रीय संयोजक हैं। उन्होंने बताया कि समिति अमेरिका में 16 कवि सम्मलेन करवा रही है और नार्थ कैरोलाइना में यह नवां कार्यक्रम है, इससे एकत्रित धन हिन्दी के कार्यों के लिए प्रयोग किया जाता है। सुधा ओम ढींगरा ने कवियों का परिचय देकर उन्हें मंच पर स्थान ग्रहण करने का आग्रह किया और सरोज जी ने समृति चिन्ह देकर कवियों का अभिनन्दन किया। सुधा ओम ढींगरा ने माइक सर्वेश अस्थाना के हवाले कर अगले वर्ष फिर मिलने का वादा कर दर्शकों से विदा ली। तीन घंटे तक कवियों ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। प्रदीप चौबे के ऑलपिन और सर्वेश की व्यंग्य कविताओं की चुभन दर्शकों ने महसूस की और आलोक श्रीवास्तव की ग़ज़लों की गहराई में वे देर तक डूबे रहे।
हॉल खचाखच भरा हुआ था। हिन्दी विकास मंडल अपने मिडिया स्पोंसर अपना ट्राएंगल डाट काम और गीत बाज़ार की आभारी है। कार्यक्रम की सफलता में इनका सहयोग सराहनीय है।

















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